मूल प्रार्थना
मा न॑स्तो॒के तन॑ये॒ मा न॑ आ॒यौ मा नो॒ गोषु॒ मा नो॒ अश्वे॑षु रीरिषः।
वी॒रान्मा नो॑ रुद्र भामि॒तो व॑धीर्ह॒विष्म॑न्तः॒ सद॒मित्त्वा॑ हवामहे॥५१॥ऋ॰ १।८।६।३
व्याख्यान—“मा, नः , तोके” कनिष्ठ, मध्यम और ज्येष्ठ पुत्र, “आयौ” उमर, “गोषु” गाय आदि पशु, “अश्वेषु” घोड़ा आदि उत्तम यान, हमारी सेना के शूरों में “हविष्मन्तः” यज्ञ के करनेवाले—इनमें “भामितः” क्रोधित और “मा रीरिषः” रोषयुक्त होके कभी प्रवृत्त मत होओ। हम लोग आपको “सदमित्त्वा, हवामहे” सर्वदैव आह्वान करते हैं, हे भगवन्! रुद्र परमात्मन्! आपसे यही प्रार्थना है कि हमारी और हमारे पुत्र, धनैश्वर्यादि की रक्षा करो॥५१॥