049 Ma No Vadheerindra

0
147

प्रार्थनाविषय

मा नो॑ वधीरिन्द्र॒ मा परा॑ दा॒ मा नः॑ प्रि॒या भोज॑नानि॒ प्र मो॑षीः।

आ॒ण्डा मा नो॑ मघवञ्छक्र॒ निर्भे॒न् मा नः॒ पात्रा॑ भेत्स॒हजा॑नुषाणि॥४९॥ऋ॰ १।७।१९।३

व्याख्यानहे “इन्द्र परमैश्वर्ययुक्तेश्वर! “मा नो वधीः हमारा वध मत कर, अर्थात् अपने-से अलग हमको मत गिरावै। “मा परा दाः हमसे अलग आप कभी मत हो “मा नः प्रिया॰ हमारे प्रिय भोगों को मत चोर और मत चोरवावै, “आण्डा मा॰ हमारे गर्भों का विदारण मत कर। हे “मघवन् सर्वशक्तिमन्! “शक्र समर्थ! हमारे पुत्रों का विदारण मत कर। “मा नः, पात्राः हमारे भोजनाद्यर्थ सुवर्णादि पात्रों को हमसे अलग मत कर। “सहजानुषाणि जो-जो हमारे सहज अनुषक्त, स्वभाव से अनुकूल मित्र हैं, उनको आप नष्ट मत करो, अर्थात् कृपा करके पूर्वोक्त सब पदार्थों की यथावत् रक्षा करो॥४९॥

मूल प्रार्थना

मा नो॑ म॒हान्त॑मु॒त मा नो॑ अर्भ॒कं मा न॒ उक्ष॑न्तमु॒त मा न॑ उक्षि॒तम्।

मा नो॑ वधीः पि॒तरं॒ मोत मा॒तरं॒ मा नः॑ प्रि॒यास्त॒न्वो॑ रुद्र रीरिषः॥५०॥ऋ॰ १।८।६।२

व्याख्यानहे “रुद्र दुष्टविनाशकेश्वर! आप हमपर कृपा करो “मा नो महान्तम् हमारे ज्ञानवृद्ध और वयोवृद्ध पिता इनको आप नष्ट मत करो तथा “मा नो अर्भकम् छोटे बालक और “उक्षन्तम् वीर्यसेचन- समर्थ जवान तथा जो गर्भ में वीर्य को सेचन किया है, उसको मत विनष्ट करो तथा हमारे पिता, माता और प्रिय तनुओं (शरीरों) का “मा, रीरिषः हिंसन मत करो॥५०॥

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here