मूल प्रार्थना
पा॒हि नो॑ अग्ने र॒क्षसः॑ पा॒हि धू॒र्तेररा॑व्णः।
पा॒हि रीष॑त उ॒त वा॒ जिघां॑सतो॒ बृह॑द्भानो॒ यवि॑ष्ठ्य॥१२॥ऋ॰ १।३।१०।५
व्याख्यान—हे सर्वशत्रुदाहकाग्ने परमेश्वर! राक्षस, हिंसाशील, दुष्टस्वभाव देहधारियों से “नः” हमारी “पाहि” पालना और रक्षा करो। “धूर्त्तेरराव्णः” कृपण, जो धूर्त्त उस मनुष्य से भी हमारी रक्षा करो। जो हमको मारने लगे तथा जो मारने की इच्छा करता है, हे महातेज, बलवत्तम! उन सबसे हमारी रक्षा करो॥१२॥