कराओके
ये सत्य का प्रकाश है उभर के रहेगा।
ये सत्य-सूर्य है कि तिमिर हरके रहेगा॥ टेक॥
पाखण्ड खण्ड-खण्ड होगा एक दिन जरूर।
अज्ञान अन्धकार दुर्ग होगा चूर-चूर।
डूबा है अँधेरे में वो उभर के रहेगा॥ १॥
जो शोर का जुलूस है सत ज्ञान है नहीं।
अपने को भूल बैठे उन्हें ध्यान है नहीं।
उन्माद का जहर है जो उतर के रहेगा॥ २॥
भगीरथी है ज्ञान की उमड़ी निरंजनी।
सब पाप-ताप को बहा फैलेगी रौशनी।
गोते लगाएगा जो वही तर के रहेगा॥ ३॥
ये अनार्य विश्व सभी आर्य बनेगा।
जो न रहा मान वो स्वीकार करेगा।
मनु का महान् देश फिर सँवर के रहेगा॥ ४॥