कराओके
घातों पर प्रतिघात वार पर वार करारा
आर्य वीर दल चला तोड़ने कुत्सित कारा।।स्थाई।।
जहां कहीं कुछ कम, खड़े वहां पर हम
खूब दिखाते दम, हम सबके हमदम
अटल अचल अविचल आर्यों का है ध्रुवतारा
बाढ़ पड़े या ओले, प्रण कभी न डोले
गिरते हों गोले, मुक्ति द्वार खोले
मानवता का हसता है सौभाग्य सितारा
भूख भयंकर हो, ऋतु प्रलयंकर हो
यदि हिम का घर हो, तो न कभी डर हो
है अभाव में बनते हम ही पूर्ति नजारा
कभी न तजते लय, सांस सांस निर्भय
नहीं मृत्यु का भय, हम हैं मृत्युंजय
शिखा सूत्र रक्षा का व्रत आत्मा से धारा
योग क्षेम जीते, नहीं लहू पीते
मीठे या तीते, हम न घड़े रीते
कभी डाल चारा न बढ़ाते भाईचारा
झूठ नहीं भाती, ऋत के हम साथी
बिन दीपक बाती, साठ इंच छाती
जहां देखते अनय वहीं चढ़ जाता पारा
घर या बाहर हो, मन शिवशंकर हो
भोज प्रखरतर हो, डर को ही दर हो
फिर से आनेवाला है वैदिक उजियारा
हों विषधर काले, छालों पर छाले
प्राणों के लाले, प्रण न टले टाले
एक सूर्य के आगे कब ठहरे अंधियारा
हंसते या रोते, सत्य बीज बोते
जागते या सोते, होश नहीं खोते
गीत मनीषी का अनुपम जलता अंगारा..!!