*ओ३म् इन्द्रं वर्धन्तो अप्तुरः कृण्वन्तो विश्वमार्यम् ।*
*अपघ्नन्तो अराव्णः ॥*
~ऋग्वेद•५/६३/९
हे प्रभु !! हम तुमसे वर पायें
हे प्रभु !! हम तुमसे वर पायें
सकल विश्व को आर्य बनायें
हे प्रभु !! हम तुमसे वर पायें
फैले सुख-सम्पत्ति फैलायें
आप बढ़े तब राज्य बढ़ायें
हे प्रभु !! हम तुमसे वर पायें
राग-द्वेष को दूर भगायें
प्रीत-नीति की रीति चलायें
हे प्रभु !! हम तुमसे वर पायें
सकल विश्व को आर्य बनाये
हे प्रभु !! हम तुमसे वर पायें
*स्वर :- ब्रह्मचारी आचार्य श्री अरुण कुमार जी आर्य*