आर्य वीर दल आर्य जनों की
पावन निर्मल थाती है
साहस दूल्हा विनय दुल्हनिया
है योद्धा बाराती है।। स्थाई।।
जिसमे हिम्मत साथ चलेगा,
संग हमारे आएगा
सदा बजा लोहे से लोहा
झूम झूम कर गाएगा
माता के आसू पोछेगा
हाहाकार मनाएगा
अश्वमेध का राजसूय का,
मेघ महा बरसाती है
आर्य वीर दल भूमंडल पर
ओम ध्वजा फहराएगा
वेद मंत्र खुलकर गाएगा
यज्ञ धूम फैलाएगा
पर्यावरण सुगंधित करके
सत्य सुधा बरसाएगा
जहां कहीं भी झूठ दिखेगा
खंग हस्त हो जाएगा
मानवता का प्रबल प्रचारक
सेवा करनी आती है
आर्य वीर दल….
क्रांति शांति का सजग हितैषी
भ्रांति न इसे सुहाती है
ऐसा दीपक जले खून से
जिसमें भीगी बाती है
प्रणहित प्राण समर्पित करती
मौत ना इसे डराती है
भव्य जवानी फांसी पर भी
संध्या हवन रचाती है
हर दुर्बल का अबल निबल का
सच्चा मित्र हिमाती है
आर्य वीर दल…
सीमाओं का प्रबल पहरुवा
यह सिंही का जाया है
आर्य वीर दल है तो किसकी
मां ने दूध पिलाया है
बुरी दृष्टि से जो भी देखें
काल न्योत कर लाया है
मृत्यु ब्याहने स्वयं स्वयंवर
अपने हाथ रचाया है
रंगे सियारों खुश मत होना
वज्र सरीखी छाती है
आर्य वीर दल…
अपना और पराया छोड़ो
धरती का श्रृंगार करो
जहां दिखे अन्याय वहां पर
आंसू को अंगार करो
जहां निरक्षरता दिखलाई
दे विद्या बौछार करो
सब की उन्नति अपनी उन्नति
प्राणी मात्र से प्यार करो
लिखी मनीशी ने वीरों के
नाम हृदय से पाती है