Mahabharat – by Swami Jagdishwaranand Sarswati (स्वामी जगदीश्वरानंद सरस्वती), पुस्तक का वांचन किया है ब्रह्मचारी अरुणकुमार आर्यवीर ने। इसे श्रव्य कणिका रूप में हजारों पाठक व्हाट्स एप पर निरंतर सुनते आ रहे हैं। पाठकों की मांग पर इसे विडियोकरण कर यू ट्यूब पर भी उपलब्ध कराया जा रहा है..
महाभारत, महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित एक महान ग्रंथ है जिसे धर्म का विश्वकोश कहा गया है। इसमें आत्मा की अमरता, राजनीति (कणिकनीति, नारदनीति, विदुरनीति), आचार और लोकव्यवहार की गहन शिक्षाएं हैं। यह ग्रंथ सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने बताया है कि समय के साथ महाभारत में कुछ प्रक्षिप्त (जोड़े गए) श्लोक जुड़ते गए, जिनमें कई अनैतिहासिक, अश्लील और असम्भव घटनाएं शामिल हैं। इन्हें हटाकर स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती ने परिश्रमपूर्वक महाभारत का एक संक्षिप्त, सारगर्भित संस्करण तैयार किया, जिसमें केवल 16,000 श्लोकों में कथा का तारतम्य बनाए रखा गया है।
इस संक्षिप्त संस्करण से पाठकों को निम्न लाभ होंगे:
- प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति, सभ्यता, आचार-विचार और ज्ञान-विज्ञान की झलक मिलेगी।
- योगिराज कृष्ण की नीतियों का बोध होगा।
- प्राचीन राज्य व्यवस्था का परिचय मिलेगा।
- द्रौपदी-चीर हरण, कर्ण की उत्पत्ति, जयद्रथ की मृत्यु, अभिमन्यु की आयु जैसे विवादित प्रसंगों का समाधान मिलेगा।
- भ्रातृप्रेम, स्त्री आदर्श, धर्म, मोक्ष, गृहस्थ जीवन और वर्ण-आश्रम धर्म का ज्ञान मिलेगा।
- यह भ्रांति कि महाभारत पाठ से गृहकलह होता है, पूरी तरह झूठी सिद्ध होती है—इसके विपरीत, यह पाठ चरित्र निर्माण और जीवन कल्याण में सहायक है।





