समझलो वही आर्यवीर हो तुम…

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जो दुःखियों की सेवा में तन मन लगाए।
जो बरबाद उजड़े घरों को बसाए।
जो औरों को सुख देके खुद दुःख उठाए।
समझलो वही आर्यवीर हो तुम।। 1।।

जो अन्याय के आगे झुकना न जाने।
जो तूफान आन्धी में रुकना न जाने।
मुसीबत से डर कर के छिपना न जाने।
समझ लो वही आर्यवीर हो तुम।।2।।

जो मृत्यु का भय अपने मन में न लाए।
धधकती हुई ज्वाला में कूद जाए।
चकित कर दे जग को वह करके दिखाए।
समझ लो वही आर्यवीर हो तुम।।3।।

उसे करके छोड़े जो दिल में ठनी हो।
निडर हो इरादे का धुन का धनी हो।
धर्म रक्षा में जिसकी छाती तनी हो।
समझलो वही आर्यवीर हो तुम।।4।।

जो मैदान में लाजपत बन के निकले।
भगतसिंह सुखदेव दत्त बन के निकले।
जो शेरों पे चढ़ के भरत बनके निकले।
समझलो वही आर्यवीर हो तुम।।5।।

जो ब्रह्मचर्य से अपना बल थाम रखे।
जो पुरुषार्थ परमार्थ से काम रखे।
जो रोशन दयानन्द का नाम रखे।
समझलो वही आर्यवीर हो तुम।।6।।

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