ईश्वर से संग जोड़ मानव, ईश्वर से संग जोड़।
विषयों से मुख मोड़ मानव, विषयों से मुख मोड़।। टेक।।
प्रातः सायं संध्या करले, वेदज्ञान जीवन में भरले।
शुभ कर्मों को न छोड़ मानव, ईश्वर से संग जोड़।। 1।।
जिस से मानव पाप कमाता, जन्म-मरण बन्धन में आता।
उस बाधक को छोड़ मानव, ईश्वर से संग जोड़।। 2।।
केवल धनसंचय में रहना, विषयभोग सागर में बहना।
यह अन्धों की दौड़ मानव, ईश्वर से संग जोड़।।
बिन ईश्वर के जाने-माने, दूध और पानी के न छाने।
वृथा यत्न करोड़ मानव, ईश्वर से संग जोड़।। 3।।
अविद्या का नाश किया कर, सदा ईश संग वास किया कर।
छोड़ जगत की होड़ मानव, ईश्वर से संग जोड़।। 4।।
उद्यम करले छोड़ उदासी, जन्म-जन्म की पाप की राशी।
पाप-कलश को फोड़ मानव, ईश्वर से संग जोड़।। 5।।
क्यों फिरता है मारा-मारा, ईश्वर का ले पकड़ सहारा।
यह है एक निचोड़ मानव, ईश्वर से संग जोड़।। 6।।
अब भी जो तू चेत न पाया, तो फिर तुझको यह जग माया।
देगी तोड़-मरोड़ मानव, ईश्वर से संग जोड़।। 7।।