तेरी शरण में जो गया…

0
160

तेरी शरण में जो गया

तेरी शरण में जो गया, भव से उसे छुड़ा दिया।
चाहे वह कितना पातकी, पावन उसे बना दिया।। टेक।।

दर-दर भटकता है वही, जो तेरे दर पे गया नहीं।
भूले से गर गया कहीं, रस्ता उसे बता दिया।। 1।।

जिसको भरोसा हो गया, बेड़ा ही पार हो गया।
अलमस्त फिर वो हो गया, अमृत जिसे पिला दिया।। 2।।

भाग्य प्रबल उसी का है, त्याग सफल उसी का है।
जीवन तो धन्य उसी का है, जिसको तूने अपना लिया।। 3।।

तुम तो पतितों के नाथ हो, भक्त जनों के साथ हो।
मुझ से अधम विमूढ़ को दाता तूने अपना लिया।।4।।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here