आवा गमन से सभी छूट जाओ..!!
परमात्मा के सभी गीत गाओ।
तो आवा गमन से सभी छूट जाओ।। टेक।।
वह दुःखियों का हमदर्द अकेलों का साथी।
श्रुति जगदाधार है उसी को बताती।।
अजर है अमर है शरण उसकी आओ।। 1।।
है गागर में सागर भरा वेद वाणी।
चहुं ऋषियों द्वारा गई जो बखानी।।
उसी दीप से मन का दीपक जलाओ।। 2।।
वह आनन्दघन है सकल दुःख हरैया।
पिता-माता वह है सखा और भैया।।
उसी से करो प्रीत प्रीतम बनाओ।। 3।।
है योगी समाधि में जिसको पुकारे।
जमाने के वैभव की चाहना विसारे।।
उसी में लगन सब तुम भी लगाओ।। 4।।