भारत गौरव गान या भारत चालीसा
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
4 – प्रकृति
प्रथम जहां पर प्रकृति-नटी की रूप-छाटाप्रिय गई छलक।
प्रथम जहां रवि उदित हुआ ले कीर्ण, रेशमी चमक-दमक।।
प्रथम जहां के नभ-मण्डल पर शीतल शशि भी गई चमक।
प्रथम जहां के वन-उपवन में स्वर्ण चन्द्रिका गई छटक।।
प्रथम जहां के नील-गगन में तारा गण की हुई झलक।
प्रथम जहां पर आदि सृष्टि में जीवों ने खोला स्वपलक।।
प्रथम जहां के बाग-विपिन में चिडियों की थी हुई चहक।
प्रथम जहां की रम्य-वाटिका नव पुष्पों से गई महक।।
प्रथम जहां पर उपजा स्वादु अन्न सकल रस-खान।।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।