भारत गौरव गान या भारत चालीसा
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
37 – विदुषियां
जहां हुई लोपा मुद्रा सी महा विदुषी श्रुति प्यारी।
विदुला, अंशुमती, गार्गी, मैत्रेयी थी विदुषी नारी।।
अरुन्धती, मदालसा, सुलभा चतुर विदुषी थी सारी।
औ लिलावती गणित कला की हुई विदुषी महतारी।।
मण्डन मिश्रकी पत्नी से शास्त्रार्थ किये शंकर भारी।
जीत गई मण्डन पत्नी अरु शंकर ने बाजी हारी।।
हुई सत्यभामा, रुक्मिन, लक्ष्मी, राधा जग में न्यारी।
सत्यवती, उर्मिला व विद्याधरी निपुण थी सन्नारी।।
राजदुलारी मीरा हुई जहां जोगन भागवान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।