भारत गौरव गान या भारत चालीसा
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
35 – सतियां
सुनो जरा अब ललनाओं की गौरवमयी कथा सारी।
कैसी-कैसी हुई सती पतिव्रता भारत-नारी।।
जहां हुई है प्रथम सती रानी तारामती सन्नारी।
जहां हुई सीता, सावित्री, अनुसूया पतिव्रत प्यारी।।
एक ही पति के साथ जिन्होंने अपनी सभी उमर-वारी।
ले जाकर भी पा न सका जिसको रावण सम व्यभिचारी।।
हार गया जिसके आगे यमराज दूत सम बलधारी।
जहां हुई हैं सती सुकन्या, दमयन्ती और गन्धारी।।
विश्व नारी अब भी करती उन सतियों पर अभिमान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।