भारत गौरव गान या भारत चालीसा
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
3 – भूमि
महा क्षेत्रफल विस्तृत धरणी पाया पद कृषि-प्रधान आन।
सभी भांति के अन्न, फूल, फल करती कोटि-कोटि प्रदान।।
जिसमें सोने, चांदी, लोहे, तेल, कोयलों की है खान।
बसंत, ग्रीष्म, सुवर्षा, शरद, हेमन्त, शिशिर ऋतुओं का स्थान।।
गौ, गज, अश्व, सिंह खग, नाग सकल पशुओं का है उद्यान।
सोने की चिडिया, पारसमनि कहता जिसको सकल जहान।।
जिसकी गोदी में पलते हैं गोरे, काले एक समान।
यवन, पारसी, ईसाई भी जिसमें पाते हैं सम्मान।।
अनुपम् जिसकी सुन्दरता है कैसे करूं बखान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।