(~भारत चालीसा)
भारत गौरव गान या भारत चालीसा
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
23 – प्राचीन विज्ञान
जहां द्रोण के ब्रह्मशस्त्र थे दिव्य-दृष्टि संजय के कर।
था मोहन का चक्र सुदर्शन, गरुड़यान का नभ चक्कर।।
लेकर अणुमय अस्त्र कृष्ण ने छुपा दिया था सूर्य प्रखर।
जयद्रथ वध के बाद सूर्य को पुनः दिखाया था गिरिधर।।
मय-कृत भव्य-भवन अद्भुत जैसा है आज कहां भू पर।
दुर्योधन ने जिसमें जाकर खाया था चक्कर-टक्कर।।
होती थी नभ वाणी ज्यों रेडियो से सुनते आज खबर।
सागर पर भी नल औ नील ने बांध दिया पुल रामेश्वर।।
जहां विश्वकर्मा सम कारीगर से उठा विज्ञान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।