भारत गौरव गान या भारत चालीसा
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
21 – ब्रह्मचर्य महिमा
जहां हुए हैं ब्रह्मचर्य के पालक व्रतधारी भारी।
गाता है इतिहास अमर उन सबकी गुण गरिमा सारी।।
शर शैया पर भी उपदेश दिया था भीष्म ब्रह्मचारी।
ब्रह्मचर्य-बल से ही उसने अपनी प्रबल मृत्यु हारी।।
जहां ब्रह्मचारी हनुमान बना बजरंग गदाधारी।
ब्रह्मचर्य-बल से ही उसने रावण की लंगा जारी।।
दयानन्द सम बाल-ब्रह्मचारी से सब दुनियां हारी।
कांप उठा था जिन के आगे कर्णराव सम बलकारी।।
जिसने रथ को रोक, दिया ब्रह्मचर्य-बल का प्रमाण।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।