भारत गौरव गान या भारत चालीसा
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
17 – आश्रयदाता
अत्याचारी से बचकर जब विदेशगण ले भागे प्राण।
भारत में वे आए तो आर्यों ने दिया उन्हें सुस्थान।।
आकर ली थी शरण हिन्द में कभी अरब भू की सन्तान।
हजरत खुद कहते थे खुशबू आत हिन्द से मानसवान।।
ईसा इसराइल से आये काशी, पाये वैदिक ज्ञान।
और पारसी आये तो गुजरात नरेश बचाई जान।।
अल्लाफी दल आये तो दाहर ने उन्हें किया सम्मान।
सतरह बार दिया गोरी को पृथ्वीराज ने जीवन दान।।
लेकिन भूला दिये कितनों ने हिन्द के वे एहसान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।