भारत गौरव गान या भारत चालीसा
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
15 – संत सुधारक
जहां भर्तृहरि बना राजयोगी कर राज सुखों का त्याग।
जहां शंकराचार्य, जगतगुरु बना, बुझाकर नास्तिक आग।।
जहां अहिंसा परमधर्म का महावीर ने छेड़ा राग।
जहां संत तुलसी, ज्ञानेश्वर, पूरण लिये महा वैराग।।
जहां समर्थ, सूर, नानक, कवि संत हुए ले नव अनुराग।
जहां हुए हैं रामतीर्थ, देवेन्द्रनाथ प्रिय जती पराग।।
जहां राममोहन, रामानुज, तुकाराम थे सु वीत राग।
परमहंस, अरविन्द, विवेकानन्द जलाये ब्रह्म-चिराग।।
जहां हुए गुरु विरजानन्द औ दयानन्द श्रुति-प्राण।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।