12. विश्वानि देव.. ४..!!

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ओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परा सुव।

यद् भद्रन्तन्न ऽ आसुव।। 1।। (यजु अ.30/मं.3)

       हे सकल जगत् के उत्पत्तिकर्ता, समग्र ऐश्वर्ययुक्त, शुद्धस्वरूप, सब सुखों के दाता परमेश्वर ! आप कृपा करके हमारे सम्पूर्ण दुर्गुण, दुर्व्यसन और दुःखों को दूर कर दीजिए; जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव और पदार्थ हैं वह सब हमको प्राप्त कीजिए।

सकल जगत के उत्पादक हे, हे सुखदायक शुद्ध स्वरूप।

हे समग्र ऐश्वर्ययुक्त हे, परमेश्वर हे अगम अनूप।।

दुर्गुण-दुरित हमारे सारे, शीघ्र कीजिए हमसे दूर।

मंगलमय गुण-कर्म-शील से, करिए प्रभु हमको भरपूर।।

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