“कच्चे घड़े”
हम हैं भोले बच्चे, जीवन में हैं सच्चे।
पवित्र हमारा तन मन, हम घड़े हैं कच्चे।। टेक।।
भीतर बाहर सम सम, ज्ञान चढ़ें अब हम पे।
ऐसा वातावरण दो रहें अच्छे के अच्छे।। 1।।
भक्ति कर्म विज्ञान रंग, चढ़ें अब हम पर पक्के।
पावन सब ये अंग रहें, दिव्य अन्तस हों सबके।। 2।।
भापा साधना करा रहा, जिससे ब्रह्मामृत टपके।
परहित को हम करके, हरहित को हम साधें।। 3।।