“नमकर समकर”
स्वयं को पाओ, स्वयं को पाओ।
नमकर, समकर, समकर, नमकर।
स्वयं को पाओ, स्वयं को पाओ।
दिव्य हो जाओ।। टेक।।
सहज सरल हो कथनी, तेरे वचन में देख धूर्तता,
लौट न जाए प्रभु तेरा…(2)
मधुमय बोलो मधुमय घोलो, प्रभु मनाओ।। 1।।
मन निर्मल ज्यों अग्नि, तेरे भीतर देख कुटिलता,
रूठे ना देवता तेरा…(2)
शुद्धता लाओ पुण्य कमाओ, देव मनाओ।। 2।।