सृष्टि विषय
प्र. १) इस संसार को किसने बनाया है ?
उत्तर : इस संसार को ईश्वर ने बनाया है।
प्र. २) ईश्वर संसार को किन पदार्थों से बनाता है ?
उत्तर : ईश्वर संसार को सत्व, रज और तम नामक पदार्थों से बनाता है।
प्र. ३) सत्व, रज और तम का अर्थ क्या है ?
उत्तर : जैसे रोटी बनाने की सामग्री आटा है वैसे ही संसार को बनाने की सामग्री को सत्व, रज और तम कहते हैं। इन तीनों के सम अवस्था का नाम प्रकृति है।
प्र. ४) प्रकृति जड़ है अथवा चेतन ?
उत्तर : प्रकृति जड़ है।
प्र. ५) संसार में सबसे पहले बनने वाला पदार्थ कौन सा है ?
उत्तर : संसार में सबसे पहले बनने वाला पदार्थ महतत्व है, जिसे बुद्धि कहते हैं।
प्र. ६) संसार में सबसे अन्त में बनने वाला पदार्थ कौन सा है ?
उत्तर : संसार में सबसे अन्त में पांच महाभूत बनते हैं।
प्र. ७) पांच महाभूत कौन से हैं ?
उत्तर : पांच महाभूत इस प्रकार है- पृथिवी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।
प्र. ८) क्या संसार अपने आप नहीं बन सकता, क्यों ?
उत्तर : संसार अपने आप नहीं बन सकता, क्योंकि वह जड़ है। जड़ पदार्थ में अपने आप क्रिया नहीं होती।
प्र. ९) क्या मनुष्य आदि के शरीर भी ईश्वर बनाता है ?
उत्तर : मनुष्य, पशु-पक्षी के शरीर ईश्वर ही बनाता है।
प्र. १०) सत्व, रज और तम (प्रकृति) को कौन बनाता है ?
उत्तर : सत्व, रज और तम (प्रकृति) को कोई नहीं बनाता, ये अनादि हैं।
प्र. ११) अनादि किसे कहते हैं ?
उत्तर : जो कभी उत्पन्न नहीं होता उसे अनादि कहते हैं।
प्र. १२) कितने पदार्थ अनादि हैं ?
उत्तर : ईश्वर, जीव और संसार का मूल कारण प्रकृति (सत्व, रज और तम) ये तीन पदार्थ अनादि हैं।
प्र. १३) प्रकृति-विकृति किसे कहते हैं ?
उत्तर : अनादि सत्व, रज और तम को प्रकृति कहते हैं तथा इससे उत्पन्न सृष्टि के पदार्थों को विकृति कहते हैं।
प्र. १४) संसार के बनने में कितने कारण होते हैं ?
उत्तर : संसार के बनने में तीन कारण होते हैं।
प्र. १५) वे तीन कारण कौन से हैं ?
उत्तर : वे तीन कारण हैं- १) निमित्तकारण याने बनाने वाला, उदाहरण – हलवाई, २) उपादान कारण याने बनाने की सामग्री, उदाहरण – सूजी, घी, ३) साधारण कारण याने अन्य सहयोगी कारण, उदाहरण – कड़ाही, चूल्हा।
प्र. १६) बीज पहले है अथवा वृक्ष ?
उत्तर : बीज का अर्थ है कारण। कारण हमेशा कार्य से पहले होता है। इसलिए वृक्ष से पहले बीज होता है।
प्र. १७) ईश्वर चाहे किसी को राजा बना दे चाहे किसी को फकीर। क्या यह बात उचित है ?
उत्तर : जैसा हम कर्म करते हैं वैसा ही हमें फल प्राप्त होता है। बिना कर्म के कुछ नहीं मिलता। केवल अपनी इच्छा से ईश्वर किसी को राजा या फकीर नहीं बना सकता।
प्र. १८) क्या ईश्वर से कभी भूल-चूक होती है ?
उत्तर : ईश्वर सर्वज्ञ होने से उससे कभी भूल-चूक नहीं होती।
प्र. १९) किन ग्रन्थों की बातों को नहीं मानना चाहिए ?
उत्तर : अभिमानी, स्वार्थी, अधर्मिक, झूठे लोगों द्वारा बनाए गए ग्रन्थों की बातों को नहीं मानना चाहिए।
प्र. २०) किन ग्रन्थों की बातें माननी चाहिए ?
उत्तर : हमें वेद और ऋषियों द्वारा बनाए गए ग्रन्थों की बातें माननी चाहिए।
प्र. २१) मनुष्य झूठी बातों को क्यों स्वीकार कर लेता है ?
उत्तर : वेद और अन्य सत्य शास्त्रों को न पढ़ने के कारण मनुष्य झूठी बातों को मान लेता है।
प्र. २२) पृथिवी आदि पदार्थ पहले बने अथवा मनुष्य ?
उत्तर : पहले पृथिवी आदि पदार्थ बने और सबसे अन्त में मनुष्य।
प्र. २३) मनुष्य की उत्पत्ति सबसे पहले कहाँ हुई ?
उत्तर : मनुष्य की उत्पत्ति सबसे पहले तिब्बत में हुई।
प्र. २४) हमारे देश का प्राचीन नाम क्या था ?
उत्तर : हमारे देश का प्राचीन नाम आर्यावर्त्त था।
प्र. २५) आर्य किसे कहते हैं ?
उत्तर : परोपकारी, धार्मिक, ईश्वर को जानने-मानने वाले व्यक्ति को आर्य कहते हैं।
प्र. २६) अनार्य किसे कहते हैं ?
उत्तर : दुष्ट, अधार्मिक, मांसाहारी और दुराचारी व्यक्ति को अनार्य कहते हैं।
प्र. २७) संसार में कितनी प्रकार की योनियाँ हैं ?
उत्तर : संसार में दो प्रकार की योनियाँ हैं। एक मनुष्य जो कर्म एवं भोग उभययोनी है तथा दूसरी मनुष्य से भिन्न भोग योनियां पशु-पक्षी आदि।
प्र. २८) क्या आर्य बाहर से आए थे ?
उत्तर : नहीं, आर्य यहाँ के मूल निवासी हैं।
प्र. २९) ईश्वर का सच्चा भक्त कौन बन सकता है ?
उत्तर : ईश्वर का सच्चा भक्त आर्य ही बन सकता है।
प्र. ३०) सबसे अच्छा राज्य किसका होता है ?
उत्तर : स्वदेशी राज्य सबसे अच्छा होता है।
प्र. ३१) क्या पृथ्वी को नाग अथवा बैल ने धारण किया है ?
उत्तर : पृथ्वी को नाग अथवा बैल ने नहीं अपितु ईश्वर ने धारण किया है।
प्र. ३२) क्या संसार में अन्य स्थानों पर भी मनुष्य रहते हैं ?
उत्तर : संसार में अन्य स्थानों पर भी मनुष्य रहते हैं।
प्र. ३३) संसार कितने समय तक विद्यमान रहता है ?
उत्तर : संसार ४,३२,००,००,००० वर्षों तक विद्यमान रहता है।
प्र. ३४) उसके बाद संसार का क्या होता है ?
उत्तर : उसके बाद संसार का विनाश अर्थात् प्रलय हो जाता है।
प्र. ३५) प्रलय कितने समय तक रहता है ?
उत्तर : प्रलय भी ४,३२,००,००,००० वर्षों तक रहता है।
प्र. ३६) क्या प्रलय के बाद संसार फिर से उत्पन्न होता है ? उत्तर : हाँ, प्रलय के बाद संसार फिर से उत्पन्न होता है।