कैधों अवनि को एक अजर-अमर ग्रन्थ।
कैधों आर्य समाज को आतम उल्लास है।।
कैधों अनमोल महा रत्नों को रत्नाकर की।
वेद को विशेष सत्त्व तत्त्व को प्रकाश है।।
कैधों आर्यवीरों ने पायो है प्रेमपुंज आज।
काराणी कहत कैधों अविद्या विनाश है।।
सत्य की सुवास वेद विद्या को विलास कैधों।
स्वराज रहस्य वो ही सत्यार्थ प्रकाश है।।४४।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई