आर्यत्व की इमारत केते-केते शहीदों के।
खून पे खड़ी है ऐसे प्रेम-धर्म-पूर थे।।
वीर लेखराम धर्मवीर राजपाल आदि।
संन्यासी शहीद श्रद्धानन्द मशहूर थे।।
हुए बलिदान हिन्द गौरव गोविन्द गुरु।
केसरी कराल वीर बंदा बहादूर थे।।
काराणी कहत सत शहीदों के सिरमौर।
ऋषि दयानन्द सब शूरन में शूर थे।।४८।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई