विश्व में मनुष्य को जो सबसे प्रिय प्राणी है उसका नाम लांगूल है। लांगूल आदमी का प्रियतम पशु धीरे धीरे धीरे धीरे आदमी में भरता चला जाता है। ज्यादा भरते जाने पर आदमी तो आदमी राष्ट्र भी लांगूलवत व्यवहार करने लगता है। लांगूल राष्ट्रों को पिछलग्गू कहते हैं। विश्व में ऐसे कई लांगूल राष्ट्र हैं।
लांगूल लक्षण
1) टुकडा लालची, 2) पूँछ हिलाना, 3) पैरों पर गिरना, 4) पृथ्वी पर लेटकर मुख दिखाना, 5) पृथ्वी पर लेटकर पेट दिखाना, 6) तनिक संतुष्ट- तनिक पाने से सुखी, 7) निरर्थ उछलकूद, 8) लांगूल लांगूल को पसन्द नहीं करता, 9) लांगूल लांगूल व्यवहार पसन्द करता है, 10) इसकी कई नस्लें होती हैं, 11) यह अपनी गली शेर होता है, 12) राजा होने पर भी जूता खाता है, 13) वासना में अटक जाता है, 14) स्वखून का आनन्द दूसरे खून में पाता है, 15) इसका तुर्रा इसकी दुम में होता है, 16) श्वान होने से श्व-भाव से युजित रहता हैै। नष्ट अवशेष युजित श्वान है।
सावधान! हर शाख शाख पे उल्लू से भी खतरनाक स्थिति लांगूल है। एक थे लांगूल, फोन उठाया उन्होंने.. धीरे धीरे बोलना शुरु किया- यस सर, यस सर, यस सर। अचानक स्वर उग्र हो गाली में बदल गया- ”हां बे जुंगराज! बोल क्या बात है“।
लांगूल प्रायः कायर होता है। कुछ लांगूल दोसा खा रहे थे। अचानक चीफ इंजीनियर आ गए। सारे लोगों ने दोसे जेब में भर लिए। अपना खाना और अपने जेब खराब किए।
लांगूल अनेक, लांगूल कथा अनेक। चाय लांगूल, पान लांगूल, शराब लांगूल, डिनर लांगूल, तम्बाखू जर्दा लांगूल, लांगूल बहलाऊ लांगूल। भारतीय प्रबन्धन लांगूलों की कथाओं से भरा पडा है। लांगूलों ने पूरा का पूरा देश बर्बाद कर दिया है। एक बार एक प्रदेश के मुख्यमन्त्री के डिनर में लांगूलों घिरा मुख्यमन्त्री! लांगूल तमाशा। मुझे लगा था डिनर माने मेरे लिए ही था।
लांगूल को आम भाषा में कुत्ता कहते हैं। वर्तमान भाषा में इसे चमचा कहते हैं। इतिहास का सबसे बड़ा चमचा वक्तव्य कार्य श्री सीताराम केसरी का अपनी टोपी इंदिरा गांधी के पैरों पर रख यह कहना रहा है कि इंदिरा गांधी हमारी चमड़ी की खाल पहनें तो हमारा अहोभाग्य होगा।
वैदिक संस्कृति में लांगूलगिरी नहीं है कि परमात्मा ही अभयता है। ”विनयपत्रिका“ लांगूलगिरी का महान काव्य है। तुलसी भारत में लांगूलगिरी फैलाने का एक बड़ा स्तम्भ रहा है।
ब्रिटेन में भारतीय तथा कुछ अन्य राष्ट्रों के लांगूलों को आने की इजाजत नहीं थी। कई भारतीय उच्चायुक्त लांगूल न ले जा पाने के कारण वहां गए नहीं। अभद्रतावादी भद्र हाब्स मानव जाती छोड़ अपने लांगूल के साथ रहने में ज्यादा आनन्दित रहता था। केनेडी का लांगूल अमरीका का प्रथम लांगूल गिना जाता है। मैंने अखबार में उसकी मोनीका लेवेन्स्की से भी अच्छी फोटू देखी है। ”तेरी मेहेरबानियां“ लांगूलाधारित फिल्म है। स्त्रियां लांगूलों को विशेष प्राथमिकता देती हैं। समाज में आजकल बड़े बड़े लांगूल शो होते हैं।
प्रबन्धन क्षेत्र में लांगूल प्रतियोगिता अगर रखी जाए तो विभाग प्रमुख इसका प्रबल दावेदार होगा। भारतीय प्रबन्धन लांगूलों द्वारा शीर्ष भरा तबाह है। ”नारियल फोड“ उद्घाटन व्यवस्था का पूजा प्रबन्धन लांगूलगिरी की जीती जागती मिसाल होता है। यदि नारियल फोड उद्घाटन व्यवस्था तथा शराब पार्टि व्यवस्था कानूनन समाप्त कर दी जाए तो पचहत्तर प्रतिशत लांगूलगिरी समाप्त हो जाएगी।
भरथरी कहता है- कुत्ता दुम हिलाता है, नीचे होता है, चरणों पर गिरता है, धरा पर लेट पेट मुख दिखाता है। और इस समस्या का निदान बताते कहता है- गजपुंगव- गजराज को यदि भोजन दिया जाता है तो वह धीरजपूर्वक दाता को पहचानता है, देखता है, गंभीर रहता है, और सैकडों मनुहारों बाद भोजन ग्रहण करता है।
लांगूल विपरीत है गजपुंगव प्रबन्धन। एम.जी.आर.प्रसाद अधिशासी निदेशक जैसे उच्चपद पर थे। उनपर श्रमिक संयुक्त रिकार्ड के मामले में तनिक सन्देह किया गया उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। गजपुंगववत व्यवहार किया।
वह ड्रायव्हर था। एक मुख्य अभियन्ता ने जीप में गॅस सिलेंडर दुकान से घर लाया। ड्राइव्हर ने साहसपूर्वक लॉग बुक में वह भर दिया। मुख्य अभियन्ता महीनों कसमसाता रहा। मजबूरन रो-रोकर उसे पैसे भरने ही पड़े।
मैं जीप नियन्त्रक था। भजिया खाने का कार्यक्रम बना। मेरी भी जीप गई। मैंने स्वयं वह यात्रा व्यक्तिगत हिस्से में डाल दी। यह जी.सी.राघवन का गजपुंगव प्रबन्धन ही था कि उस काल मैंने ठोस कार्य किए। तथा लाखों रुपए भिलाई इस्पात संयन्त्र के बचाए।
गजपुंगव लांगूलों के भौंकने की परवाह नहीं करते हैं। कुत्ते भौंकते रहते हैं भई हाथी चलते रहते हैं।
भारत में वर्तमान लांगूल प्रबन्धन को गजपुंगव प्रबन्धन में परिवर्तित करने की सख्त आवष्यकता है।
स्व. डॉ. त्रिलोकीनाथ जी क्षत्रिय
पी.एच.डी. (दर्शन – वैदिक आचार मीमांसा का समालोचनात्मक अध्ययन), एम.ए. (आठ विषय = दर्शन, संस्कृत, समाजशास्त्र, हिन्दी, राजनीति, इतिहास, अर्थशास्त्र तथा लोक प्रशासन), बी.ई. (सिविल), एल.एल.बी., डी.एच.बी., पी.जी.डी.एच.ई., एम.आई.ई., आर.एम.पी. (10752)