हाथ रखे वेद, वेद-धर्म को विख्यात रखे।
तात रखी तुमने ही ख्यात हिन्दुस्थान की।।
जात रखे जनेऊ को चोटी को कटात रखी।
बात रखी एक आर्यधर्म के उत्थान की।।
काराणी कहत धर्म लक्ष्मी को लुटात रखी।
साथ रखी शक्ति एक सत्य शब्द बान की।।
ज्ञान रखे मान रखे गौरव के गान रखे।
शान रखी रखी आन-बान हिन्दवान की।।४१।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई