महर्षि भारद्वाज

0
647

आचार्य भारद्वाज के पिता महर्षियों में श्रेष्ठ आचार्य बृहस्पति के पुत्र थे। आपकी माता का नाम ममता था। आचार्य बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है।

एक वैदिक मान्यता के अनुसार जमदग्नि, वसिष्ठ, भारद्वाज गौतम, वामदेव और अत्रि ये सप्तर्षि हैं। ‘सप्तानुक्रमणि’ ग्रन्थ के रचयिता कात्यायन के मत में आचार्य भारद्वाज ऋग्वेद के छः मण्डलों के द्रष्टा थे। आप अनेक शास्त्रों के प्रवक्ता तथा उपदेशक भी थे। तैत्तिरीय ब्राह्मण की एक कथा के अनुसार आचार्य भारद्वाज दीर्घायु प्राप्त ऋषि थे। कहा जाता है कि आपका आयुष्य 300 वर्षों से भी अधिक था।

आचार्य भारद्वाज द्वारा रचित अन्य ग्रन्थों में ‘भारद्वाज शिक्षा’, ‘भारद्वाज श्रौत’, ‘गृह्यसूत्र’ तथा ‘अंशुमतन्त्र’ विशेष उल्लेखनीय है। आपको बृहद् विमानशास्त्र, आकाश शास्त्र तथा वैमानिक कला सम्बन्ध्ाित ग्रन्थ ‘यन्त्र-सर्वस्व’ का प्रणेता भी माना जाता है। इसके अलावा आयुर्वेद पर भी महत्वपूर्ण ग्रन्थ की रचना की है। चरक संहिता में वर्णित वैद्यों के एक विशाल सम्मेलन में जिन महान् 11 आचार्यों ने भाग लिया था, उनमें आचार्य भारद्वाज जी का भी नाम है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here