भारती की भीड पाप-पीड को पिछानी धीर।
वीर दयानन्द गुन-सागर गंभीर थे।।
प्यारे वेदोंवाले सारे हिन्द के सितारे मात-
भारती के नैन-तारे न्यारे नरवीर थे।।
अभय अभ्रान्त आप आप को अमाप ताप।
आप ही अमीर आप नंगे ही फकीर थे।।
शीतल शिशिर में बसंत बिलसाय दीनो।
दयानन्द महर्षि मलय के समीर थे।।४२।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई