“चरैवेति चरैवेति”
भाग्य भरोसे बैठ गया।
भाग्य भी तेरा बैठ गया।।
दोनों हाथों कर्म किया।
जीवन कटोरा सुख से भरा।। टेक।।
ज्ञान पढ़ा और ज्ञान जिया।
जीवन ज्योति में पैठ गया।।
श्रम व सत्य का हाथ धरा।
जीवन खेत लहलहा गया।। 1।।
साधना की ब्रह्मत्व जिया।।
नई ऊंचाइयां चढ़ गया।।
महनत सुख आधारशिला।
भापा ने हरपल ये कहा।। 2।।