प्रज्ञान का घर है…

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प्रज्ञान का घर है तेरा अन्तस गहन हो।। टेक।।

मानव करले श्रेष्ठ पथ का चयन।
ये ब्रह्म बसा है, कण-कण में व्यापक।
यहां से वहां तक, वहां से यहां तक।
सारी साधना, सारी उपासना, सफल है इसी में हो।। 1।।

ये प्रकृति के, स्फुरण महानतम।
इनसे ही तो, झलकता है वो ब्रह्म।
इससे पगा, उससे सजा, ही है जीवन सही हो।। 2।।

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