पाठ (३) प्रथमा विभक्ति = शब्दसौंदर्यम् (शब्दसौंदर्य)

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संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।

पाठ (३) प्रथमा विभक्ति = शब्दसौंदर्यम् (शब्दसौंदर्य)

कर्त्तृवाच्य में कर्त्ता (=क्रिया को करनेवाला) कारक में प्रथमा विभक्ति होती है यथा-

शब्दः शब्दयति = शब्द बोल रहा है।
श्वानः / शुनी श्वनति = कुत्ता / कुतिया भौकता / भौंकती है।
भषी / भषः भषति = कुत्ता / कुतिया भौकता / भौंकती है।
शुनकः / शुनकी बुक्कति = कुत्ता / कुतिया भौकता / भौंकती है।
गर्दभः / गर्दभी गर्दति = गधा / गधी रेंकती है।
रासभः रासते = गधा रेंकता है।
गर्दभः ह्रेषते = गधा रेंकता है।
अश्वः ह्रेषते = घोड़ा हिनहिनाता है।
हेषी ह्रेषते = घोड़ी हिनहिनाती है।
रेभः / हस्ती रेभते = हाथी चिंघाड़ता है।
गजः गजति = हाथी चिंघाड़ता है।
गजवः गजन्ति = कंगन बज रहे हैं।
सिंहः गर्जति = शेर गरजता है।
मेघाः गर्जन्ति = मेघ (काले बादल) गरजते हैं।
मक्षिकाः गुञ्जन्ति = मक्खियां भिनभिना रही हैं।
भ्रमरः गुञ्जति = भौंरा गुजन कर रहा है।
शब्दः गुञ्जति = शब्द गूंज रहा है।
कपोतः गोजति / गुजति = कबुतर गुटरगूँ करता है।
नायकः गुञ्जति = अभिनेता सीटी बजा रहा है।
वाष्पस्थाली गुञ्जति = कूकर सीटी बजा रहा है।
दुष्टा म्रुञ्जति = दुष्ट महिला गाली बक रही है।
निन्दकः निन्दति / म्रुजति = निन्दक निन्दा करता है।
पठिता पठति = पाठक पढ़ता है।
छात्रः भणति = विद्यार्थी पढ़ता है।
रणवीरः रणति = योद्धा ललकार रहा है।
रोगी कणति = रोगी कष्ट से कराह रहा है।
माला केणति = माला चिढ़ाती है।
कुणपः कुणति / कोणति = दुष्ट / चांडाल झगड़ता है।
चणकः चणति = चना बज रहा है। (बन्द डिब्बे में चने रख हिलाने पर होने वाली आवाज)
धणः धणति = गाय-भैस का समूह आवाज कर रहा है।
वणः / सम्मर्दः वणति = भीड़ / मानव समुदाय शोर मचा रहा है।
फणी फणति = सांप फुत्कारता है।
वीणा क्वणति = वीणा बज रही है।
कोऽपि ध्वनति = कोई बोल रहा है।
शब्दः प्रतिध्वनति = शब्द प्रतिध्वनित (इको) हो रहा है।
मनुष्यः वदति = आदमी बोल रहा है।
वक्ता वक्ति = वक्ता बोलता है।
प्रवक्त्री प्रवक्ति = प्रवाचिका प्रवचन करती है।
उपदेशकः उपदिशति = उपदेष्टा उपदेश कर रहा है।
मोजी मोजति = मनमौजी मौज कर रहा है / गुनगुना रहा है।
परिहासी परिहसति = मजाकिया मजाक कर रहा है।
जल्पी जल्पति = गप्पी गपशप कर रहा है।
वावदूकः वावदीति = बातूनी खूब बातें बना रहा है।
वाचालः लपति / लालपीति = बकवादी बकवास कर रहा है।
भक्तः जपति = भक्त ईश्वरनाम को जपता है।
अन्तेवासिनी रटति = छात्रा रट रही है / कण्ठस्थ कर रही है।
हठिनी रटति = जिद्दी बालिका किसी बात पर जिद कर रही है।
गायिका गायति = गायिका गा रही है।
गाथिका गाथयति = कथावाचिका कथा सुना रही है।
कथाकारः कथयति = कथावाचक कथा सुना रहा है।
छिन्नसंशयः कायति = जिसका संशय दूर हो गया है ऐसा व्यक्ति (संशय दूर करनेवाले की) प्रशंसा करता है।
स्तोता स्तौति = स्तुति करनेवाला स्तुति करता है।
प्रशंसकः प्रशंसते = प्रशंसा करनेवाला प्रशंसा कर रहा है।
कविः कवते = कवि कविता करता है।
लेखकः लिखति = लेखक लिखता है।
सभाध्यक्षः उद्गिरति = सभाध्यक्ष अपने उद्गार व्यक्त करता है।
बहुभोजी / घस्मरः उद्गिरति = खाऊराम डकार दे रहा है।
तेकः तेकते = डकारनेवाला डकार रहा है।
स्थूलः नासते = मोटा व्यक्ति खर्राटे भरता है।
बालः हिक्कति = बच्चा हिचकी ले रहा है।
नूपुरः निनदति = पायल बज रही है।
नदी नदति = नदी कल-कल आवाज करती बहती है।
घण्टिका घण्टयति = घण्टिका बज रही है।
माणवकः पटपटायते / पटपटायति = बालक किसी वस्तु से पटपट ऐसी ध्वनि करता है।
जलं टपटपायते / टपटपायति = पानी की टपटप ध्वनि सुनाई दे रही है।
घटी / घटिका टनटनायते / टनटनायति = घड़ी टनटन बज रही है।
आसन्दिका ठकठकायते / ठकठकायति = कुर्सी ठकठक बज रही है।
ज्वलत् काष्ठं चटचटायते / चटचटायति = जलती लकड़ी चटचट आवाज कर रही है।
मूषिका खटपटायते / खटपटायति = चुहिया खटपट कर रही है।
आगन्तुकः खटखटायते / खटखटायति = आगन्तुक दरवाजा खटखट बजा रहा है।
बकः / वरटः बकबकायते / बकबकायति = बगुला / बत्तख बकबक ऐसी आवाज करता है।
काकः काकायते / काकायति = कौआ कांव-कांव करता है।
घोटकः हिनहिनायति / हिनहिनायते = घोड़ा हिनहिनाता है।
मक्षिका भिनभिनायते / भिनभिनायति = मक्खी भिनभिना रही है।
मशकः गुनगुनायते / गुनगुनायति = मच्छर गुनगुना रहा है।
कुक्कटः कुक्कायते / कुक्कायति = मुर्गा बांग दे रहा है।
चटका चींचायते / चींचायति = चिड़िया चीं-चीं करती है।
मूषकः चूंचायते / चूंचायति = चूहा चूं-चूं करता है।
कोकिलः कूजति = कोयल बोलती है।
वयांसि वाश्यन्ते = पक्षी कलरव कर रहे हैं।
खगाः कलन्ते = पक्षी कलरव कर रहे हैं।
वाशिः वाश्यन्ते = अग्नि धू-धू कर जल रही है।

प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन है कृपया त्रुटियों से अवगत कराते नए सुझाव अवश्य दें.. ‘‘आर्यवीर’’

अनुवादिका : आचार्या शीतल आर्या (पोकार) (आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल, आर्यवन न्यास, रोजड, गुजरात, आर्यावर्त्त)
टंकन प्रस्तुति : ब्रह्मचारी अरुणकुमार ‘‘आर्यवीर’’ (आर्ष शोध संस्थान, अलियाबाद, तेलंगाणा, आर्यावर्त्त)

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