पाखण्ड खण्डनी पताका…

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हरिद्वार धाम कुम्भमेले के झमेले बीच।

भारत की जनता अपार जब आई है।।

मोटे-मोटे साधू-संत संन्यासी महन्त आए।

डेरा-तम्बू डारे केती छावनी छवाई है।।

सभा-समूहों में सप्तसर पर महर्षि ने।

वेद-धर्मोपदेश की झडी बरसाई है।।

हिम्मत के हीर सत्यवीर दयानन्द जी ने।

पाखण्ड-खण्डनी पताका तहां चड़ाई है।।३४।।

~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई

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