भारत में भया अनाचार का अपार भार।
हुआ हाहाकार हर्नांकस के हुंकार सा।।
धर्म भयो लोप महापाप को प्रकोप भयो।
उठा चित्कार प्रह्लाद के पोकार सा।।
काराणी कहत चडी आंधी अधर्म की जब।
घेरा चारों और अंधाधुंध अंधकार सा।।
काले कलिकाल के कराल लाल खम्भ से दि-
आया दयानन्द नरसिंह अवतार सा।।३०।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई