तू न होता तो…

0
179

धर्म-कर्म-ध्याता नवयुग निर्माता तू ही।

भव्यतम भारत के भाग्य का विधाता तू।।

तेज तेरा ताता दुःख दैत्य अकुलाता जाता।

शान्ता सुखदाता माता भारती को भाता तू।।

वेदों को दबाता छुपे होने में छुपाता विप्र।

व्हां से खोज लाता वो ही वेद गुन ज्ञाता तू।।

आर्यधर्म त्राता आर्यत्व को चमकाता कौन।

काराणी कहत जो न होता वेद-दाता तू।।५०।।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here