झंडाधारी…

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आया झंडाधारी वेद धर्म का उडाया झंडा।

मंत्र ओम्कार तें जगत को जगायो है।।

पाप-ताप, क्लेश-द्वेष, जेर-जुल्म जारिबे को।

कहा महिमण्डल पे महानल आयो है।।

कृण्वन्तो विश्वमार्यम् एक वेद-मन्त्र हु ते।

काराणी कहत सारे हिन्द को हिलायो है।।

धर्म धारिबे को आर्यावर्त के उद्धारिबे को।

डूबतों के तारिबे को दयानन्द आयो है।।२९।।

~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई

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