टंकारे में भयो भव्य क्रान्ति को अमोघ योग।
महाशिवरात्री को महान पर्व आयो है।।
शंकर की शक्ति भक्ति सुनी भक्तमण्डल की।
मुक्ति की उक्ति में मूलशंकर मोहायो है।।
पंडित पिता के संग चले शिवपूजन को।
बाल भगतराज सब भक्तन को भायो है।।
यही ज्ञानरात्रि ने भारत के दुलारे लाल।
वही बाल महात्मा के आत्म को जगायो है।।३।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई