जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है…

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जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी

जननी जन्मभूमि, स्वर्ग से महान है।
इसके वास्ते ये तन है, मन है, धन है प्राण है।
तन मन धन प्राण है।। टेक।।

इसके कण कण में लिखा, राम कृष्ण नाम है।
हुतात्माओं के रुधिर से, भूमि शस्य श्याम है।।
धर्म का यह धाम है, सदा इसे प्रणाम है।
स्वतन्त्र है धरा यहाँ, स्वतन्त्र आसमान है।। 1।।

इसकी गोद में हजारों, गंगा यमुना झूलती।
इसके पर्वतों की चोटियाँ, गगन को चूमती।।
भूमि यह महान है, निराली इसकी शान है।
इसकी जय पताका पर, विजय का निशान है।। 2।।

इसकी आन पर अगर जो, कोई बात आ पड़े।
इसके सामने जो जुल्म के, पहाड़ हों खड़े।।
शत्रु सब जहान हो, विरुद्ध आसमान हो।
मुकाबला करेंगे हम, जान में यह जान है।। 3।।

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