गृहस्थ आश्रम
प्र. १) विवाह करने का अधिकार किसे है ?
उत्तर : धार्मिक, विद्वान् (क्रम से चारों अथवा तीन अथवा दो अथवा कम से कम एक वेद के सांगोपांग अध्येता), सदाचारी और ब्रह्मचारी व्यक्ति को विवाह करने का अधिकार है।
प्र. २) विवाह करने का मुख्य आधार क्या है ?
उत्तर : विवाह करने का मुख्य आधार है- अनुकूल गुण-कर्म-स्वभाव का मेल होना।
प्र. ३) जन्म-कुण्डली के आधार पर विवाह करना क्या उचित नहीं है ?
उत्तर : जन्म-कुण्डली देखकर विवाह करना उचित नहीं है, क्योंकि वधू-वर के भविष्य और परस्पर मेल का जन्म-कुण्डली से कोई सम्बन्ध नहीं है।
प्र. ४) वर्ण व्यवस्था किसे कहते हैं ?
उत्तर : वर्ण व्यवस्था एक सामाजिक व्यवस्था है, जिसमें गुण-कर्म-स्वभाव एवं योग्यता के आधार पर समाज को चार विभागों में बांटा जाता है।
प्र. ५) वर्ण कितने होते हैं, उनके नाम बताइए ?
उत्तर : वर्ण चार होते हैं। उनके नाम हैं- १. ब्राह्मण, २. क्षत्रिय, ३. वैश्य और ४. शूद्र।
प्र. ६) द्विज किसे और क्यों कहते हैं ?
उत्तर : चारों वर्णों में से प्रथम तीन वर्णस्थ व्यक्ति को द्विज कहते हैं। द्विज शब्द का शाब्दिक अर्थ है जिसका दूसरी बार जन्म हुआ हो। मातागर्भ से संसार में आना प्रथम जन्म है तो आचार्य के ज्ञानरूपी गर्भ से विद्या-स्नातक होना दूसरा जन्म है।
प्र. ७) मानव समाज के कितने प्रकार के शत्रु होते हैं तथा उन्हें दूर करने का दायित्व किसका है ?
उत्तर : मानव समाज के तीन मुख्य प्रकार के शत्रु हैं- १. अज्ञान, २. अन्याय तथा ३. अभाव। इन्हें दूर करने का दायित्व द्विजों अर्थात् क्रमशः ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्यों का है।
प्र. ८) क्या वर्ण व्यवस्था जन्म से नहीं मानी जाती है ?
उत्तर : वर्ण व्यवस्था जन्म से नहीं मानी जाती है। उसका आधार गुण-कर्म और स्वभाव है।
प्र. ९) क्या कोई भी व्यक्ति ब्राह्मण बन सकता है ?
उत्तर : शास्त्रों में ब्राह्मण बनने के लिए कुछ गुण-कर्म निश्चित किए हैं। उन गुण-कर्मों को धारण करने वाला कोई भी व्यक्ति ब्राह्मण बन सकता है।
प्र. १०) ब्राह्मण बनने के लिए ब्राह्मण परिवार में जन्म लेना आवश्यक है ?
उत्तर : ब्राह्मण बनने के लिए ब्राह्मण परिवार में जन्म लेना आवश्यक नहीं है।
प्र. ११) किन कर्मों को करने से व्यक्ति ब्राह्मण बन सकता है ?
उत्तर : ब्राह्मण बनने के लिए इन कर्मों को करना आवश्यक है- १. पढ़ना व पढ़ाना, २. यज्ञ करना व कराना, ३. धर्म का आचरण करना, ४. वेदों को मानना।
प्र. १२) क्षत्रिय किसे कहते हैं ?
उत्तर : जो व्यक्ति प्रजा की रक्षा और पालन करता है उसे क्षत्रिय कहते हैं।
प्र. १३) वैश्य के कर्म क्या हैं ?
उत्तर : वैश्य के कर्म कृषि, पशुपालन एवं व्यापार आदि हैं।
प्र. १४) शूद्र किसे कहते हैं ?
उत्तर : जो व्यक्ति पढ़ाने पर भी नहीं पढ़ सकता उसे शूद्र कहते हैं।
प्र. १५) शूद्र का मुख्य कार्य क्या है ?
उत्तर : शूद्र का मुख्य कार्य सेवा करना है।
प्र. १६) क्या शूद्र की सन्तानें द्विज अर्थात ब्राह्मण-क्षत्रिय-वैश्य बन सकती हैं ?
उत्तर : शूद्र की सन्तानें द्विज अर्थात ब्राह्मण-क्षत्रिय-वैश्य बन सकती हैं।
प्र. १७) विवाह कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर : विवाह आठ प्रकार के होते हैं।
प्र. १८) सबसे उत्तम विवाह कौन सा है ?
उत्तर : सबसे उत्तम विवाह ब्राह्म विवाह है ।
प्र. १९) ब्राह्म विवाह किसे कहते हैं ?
उत्तर : पूर्ण विद्वान, धर्मिक, सुशील वर-वधू का परस्पर प्रसन्नता के साथ विवाह होना ब्राह्म विवाह है।
प्र. २०) वाणी की चार विशेषताएं बताइए ?
उत्तर : वाणी की चार विशेषताएं हैं- १. वाणी सुमधुर हो, २. सदैव सत्य बोलना, ३. हितकारी बोलना, ४. प्रिय बोलना।
प्र. २१ ) निन्दा किसे कहते हैं ?
उत्तर : अच्छे को बुरा कहना और बुरे को अच्छा कहना निन्दा कहलाती है।
प्र. २२) श्राद्ध क्या होता है ?
उत्तर : जीवित माता-पिता, विद्वान्, वृद्धजनों की श्रद्धा से सेवा करने को श्राद्ध कहते हैं।
प्र. २३) तर्पण का क्या अर्थ है ?
उत्तर : जीवित माता-पिता, विद्वान् आदि को अपने सेवा एव व्यवहारादि से प्रसन्न रखना तर्पण है।
प्र. २४) क्या मृत पितरों का श्राद्ध व तर्पण नहीं हो सकता ?
उत्तर : मृत पितरों का श्राद्ध व तर्पण सम्भव नहीं है। ऐसा करना वेद आदि शास्त्रों से विरुद्ध है।
प्र. २५) पंचमहायज्ञ कौन से हैं ?
उत्तर : १. ब्रह्मयज्ञ, २. देवयज्ञ, ३. पितृयज्ञ, ४. बलिवैश्वदेवयज्ञ और ५. अतिथियज्ञ।
प्र. २६) अतिथियज्ञ किसे कहते हैं ?
उत्तर : धार्मिक, विद्वान्, सत्य के उपदेशक व्यक्ति की सेवा, सत्कार और सम्मान करना अतिथियज्ञ है।
प्र. २७) पाप किसे कहते हैं ?
उत्तर : अधर्म के आचरण को पाप कहते हैं।
प्र. २८) अधर्म के आचरण से क्या हानि होती है ?
उत्तर : जैसे जड़ से काटा हुआ वृक्ष नष्ट हो जाता है, वैसे ही अधार्मिक व्यक्ति भी पूर्णतः नष्ट हो जाता है।
प्र. २९) किसे दान नहीं देना चाहिए ?
उत्तर : तप से रहित, अधार्मिक, अविद्वान् व्यक्ति को दान नहीं देना चाहिए।
प्र. ३०) पाखण्डी के लक्षण क्या हैं ?
उत्तर : जो व्यक्ति धर्म के नाम पर दूसरों को ठगता हो, अपनी प्रशंसा स्वंय करे, अच्छे-बुरे सब लोगों से मित्रता करे, स्वार्थ के लिए दूसरों की हानि करता हो वह पाखण्डी होता है।
प्र. ३१) बुद्धिमान् किसे कहते हैं ?
उत्तर : ईश्वर, वेद एवं आप्तों पर श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति बुद्धिमान् होता है।