गलत मत कदम उठाओ …

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एक डाल के हम हैं पंछी, अलग अलग अपनी भाषाएँ।

एक दूजे को साथ में लेकर, एक ही स्वर में गाएं।

गलत मत कदम उठाओ सोच कर चलो, विचार कर चलो।

  राह की मुसीबतों को पार कर चलो।। टेक।।

हम पे जिम्मेदारियाँ हैं देश की बड़ी।

हम न बदलें अपनी चाल अब घड़ी घड़ी।

हम पे आने वाली आस की नजर पड़ी।।

चिराग ले चलो ऽऽ आग ले चलो।

मे मस्तियों के रंग भरे फाग ले चलो।। 1।।

मिलके चलो एक साथ अब नहीं रुको।  

बढ़ते चलो एक साथ अब नहीं थको।

अन्याय का हो सामना न तुम कहीं झुको।।

साज करेगा ऽऽ आवाज करेगा।

हमारी वीरता पे जहाँ नाज़ करेगा।। 2।।

दूर किनारे रहें मिले ना यह शिखर।

मंजिल के मुसाफिर तुझे क्या राह की फिकर।

चट्टान तू तूफान के झोकों का क्या असर।

अन्धेरा जा रहा दिन है कि आ रहा।

वो कौन मंजिलों पे मंजिले बना रहा।। 3।।

काल की करवाल से इन्सान कब डरा।

तू प्रलय के बादलों को छोड़ तो जरा।

लाख मौत हो मगर मनुष्य कब मरा।

ज्योत तो जला पन्थ जो चला।

प्रेम का पला भला वो सूर्य कब ढला।। 4।।

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