क्षत्रिय…

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भारत भूमि के रणधीर राजपूत वीर।

दुर्बल को रक्षक वो भक्षक सो भायो है।।

एक मुक्तिकाज लाख-लाख बलिदान दिए।

वो ही पराधीनता के पिंजर पुरायो है।।

न्याय नीति नियम नरेश में न रहे शेष।

फैशन के फेर-फेर फन्द में फसायो है।।

नहीं नेक टेक एक वर्ण में विवेक रेख।

देख देख दिल दयानन्द को दुखायो है।।१२।।

~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई

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