“चयन हक”
कभी न भूलो ओऽम् तुम।
कि ओऽम् हमारा आधार है।। टेक।।
ओऽम् है विराट भी, ओऽम् है प्रकाश भी।
ओऽम् ही है दिव्यता, ओऽम् ही अस्तित्वता।
ओऽम् सा बृहत् नहीं, ओऽम् सा महत् नहीं।। 1।।
जगत है सत रज तम रचा, तू तो है रे चैतन्यता।
चयन है तेरा हक बड़ा, तू सत ही सत ले रे उठा।
अमर है तेरी ये सत्ता, अमरता ओऽम् परमता।। 2।।