दयानन्द बावनी
कवि दूलेराय काराणी
वन्दु मात सरस्वती सुखदात्री सुखकंद।
वंदन भगवती भारती दिया है दयानन्द।।
०१- ओम्कार महिमा
अरूपी अकाम परिपूर्ण प्रेम-धर्म-धाम।
आदि में अनादि नाम एक ओंम्कार का।।
अखण्ड अखेद जाको वेद ने न पायो भेद।
अभेद अच्छेद निराकार निर्विकार का।।
भारत में ओही ओम्कार का जगानेवाला।
प्रकटा पुरुषवर तारक संसार का।।
काराणी कहत भाग्यवन्त आर्यभूमि तूने।
पाया है प्रसाद दयानन्द के दीदार का।।१।।
~ स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई