इस लघु पुस्तिका में आर्यवीर की आदर्श दिनचर्या कैसी हो, इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सङ्कलन करने का यत्न किया गया है। इसका प्रथम संस्करण हमने सन् १९९१ में छापा था, जो अगले ही वर्ष समाप्त हो गया। तबसे इसकी मांग बराबर बनी रहती है। गुरुकुल कुरुक्षेत्र द्वारा हर वर्ष किशोर चरित्र निर्माण शिविरों का आयोजन किया जाता है। इस पुस्तक का ११ वां संस्करण संशोधित एवं परिवर्धित कर पुनः छाप रहे हैं। प्रारम्भिक संस्करणों में शाखा नायक श्रेणी का अलग से शारीरिक पाठ्याक्रम न था, क्योंकि यह श्रेणी अलग से थी ही नहीं। यथा समय दोनों श्रेणीयों के पाठ्याक्रमों को पृथक्-पृथक् कर दिया गया था। प्रस्तुत संस्करण में आर्यवीर एवं शाखा नायक के पाठ्याक्रम में किए गए परिवर्तन भी दिए जा रहे हैं।
इस पुस्तक में शारीरिक पाठ्याक्रम के अलावा आर्यवीर दल के दिनचर्या में प्रयुक्त होनेवाले सभी मन्त्र तथा आर्यवीर दल के राष्ट्रगान, ध्वजगान, आर्य समाज के नियम, संगठन सूक्त जैसी उपयुक्त सामग्री का सङ्कलन किया गया है। शिविर में भावार्थ सहित संध्या करायी जाने पर आर्य वीरों की मांग को देखकर इस संस्करण में उक्त भावार्थ जोड़ा गया है। ईश्वर-स्तुतिप्रार्थनोपासना का स्व.डॉ.धर्मवीर जी द्वारा लिखा तथा संगठन सूक्त का स्व.डॉ.त्रिलोकीनाथ क्षत्रिय जी द्वारा लिखित पद्यानुवाद इस पुस्तक की अन्य विशिष्टता है।