उठो आर्य वीरांगना
आदि सृष्टि की शक्ति भक्ति सी उठो आर्य वीरांगना।
काल नहीं तुम महाकाल हो करो मृत्यु का सामना।।टेक ।।
दयानंद की प्यारी बेटी/करती सिंह सवारी बेटी।
है तलवार दुधारी बेटी/धरती कंठ कटारी बेटी।
अन्यायों के अध्यायों पर लिखो प्रलय प्रस्तावना।
उठो आर्य वीरांगना —————-
रक्षा करने वाली राखी/दिव्य भव्य जग की बैसाखी।
चित्त हरण करती वन पाखी/आर पार देखती सुआखी।
तुम समग्र हो अग्र सभी से हर संभव संभावना।
उठो आर्य वीरांगना —————-
सर्वोत्तम संस्कारी बिटिया/कुसंस्कार पर भारी बिटिया।
कभी न हिम्मत हारी बिटिया/नीति निपुण व्रतधारी बिटिया।
बिना तुम्हारे कौन कर सके जग की मंगल कामना।
उठो आर्य वीरांगना —————-
अपना शुद्ध स्वरूप सँभालो/आस पास को देखो भालो।
सागर पर हर झूठ उछालो/हाथों पर आकाश उठालो।
भक्ति चलेगी पीछे पीछे करो शक्ति आराधना।
उठो आर्य वीरांगना —————-
धर्म कर्म की स्वर्णिम थाली/झूमे जैसे गेहूं बाली।
योग क्षेम की तू रखवाली/पास तुम्हारे सबकी ताली।
निर्माणों की नव्य योजना सात्विक धर्म प्रभावना।
उठो आर्य वीरांगना —————-
जिस घर जाये खुशियां लाये/घर घर संध्या हवन रचाये।
इसको सदा सत्य ही भाये/सत्य ओढती सत्य बिछाये।
प्रेम दया करुणा मैत्री में भर मौलिक उद्भावना।
उठो आर्य वीरांगना —————-
डाल शत्रु आंखों में आंखें/आंखें जैसे गर्म सलाखें।
नोच रही जहरीली पांखें/काट रही विषधर की शाखें।
नग्न पांव नंगी तलवारें करे नृत्य नृत्यांगना।
उठो आर्य वीरांगना —————-
सांस सांस से गुरुकुल गाये/गौरव और गुमान जगाये।
राक्षस को इन्सान बनाये/मानव में देवत्व जमाये।
वैर भाव को दूर भगा कर जगा रही सद्भावना।
उठो आर्य वीरांगना —————-
जननी है तू वीर भाव की/कुशल खिवैया भग्न नाव की।
मरहम है हर एक घाव की/प्रथम ईंट है मंत्र चाव की।
ऋषि मुनियों की मानस पुत्री काम रहित शुभकामना।
उठो आर्य वीरांगना —————-
हर दानव का शीश झुकाये/अहंकार की नींव हिलाये।
अकबर की छाती चढ़ जाये/खिलजी की खिल्लियां उड़ाये।
अग्नि स्नान करती पद्मिनियां करती कभी न याचना।
उठो आर्य वीरांगना —————-
संतति में वीरत्व जगाओ/माता निर्माता बन जाओ।
चक्रव्यूह भेदना सिखाओ/चिन्तन की चेतना बढ़ाओ।
वीर प्रसूता जग जननी की कौन करे अवमानना।
उठो आर्य वीरांगना —————-
जयवन्ता प्रताप सिर साजी/पगड़ी बांध मिटाये पाजी।
लगा चले प्राणों की बाजी/जीजा ने गढ़ लिये शिवाजी।
ऐसी मां संतान भेज प्रभु करे *मनीषी *प्रार्थना।
उठो आर्य वीरांगना।उठो आर्य वीरांगना।
प्रोफेसर डॉ सारस्वत मोहन मनीषी