100 Yam Medham Devganah January 1, 2020 By Arun Aryaveer Download मूल प्रार्थना यां मे॒धां दे॑वग॒णाः पि॒तर॑श्चो॒पास॑ते। तया॒ माम॒द्य मे॒धयाग्ने॑ मे॒धावि॑नं कुरु॒ स्वाहा॑॥५३॥ यजु॰ ३२।१४ व्याख्यान—हे सर्वज्ञाग्ने! परमात्मन्! जिस विज्ञानवती, यथार्थ धारणावाली बुद्धि को “देवगणाः” देवसमूह (विद्वानों के वृन्द) “उपासते” धारण करते हैं तथा यथार्थ पदार्थविज्ञानवाले पितर जिस बुद्धि के उपाश्रित होते हैं, उस बुद्धि के साथ इसी समय कृपा से मुझको मेधावी कर। “स्वाहा” इसको आप अनुग्रह और प्रीति से स्वीकार कीजिए, जिससे मेरी जड़ता सब दूर हो जाए॥५३॥