कभी न भूलो ओऽम् तुम “चयन हक” कभी न भूलो ओऽम् तुम। कि ओऽम् हमारा आधार है।। टेक।। ओऽम् है विराट भी, ओऽम् है प्रकाश भी। ओऽम् ही है दिव्यता, ओऽम् ही अस्तित्वता। ओऽम् सा…
ओ साधक रे “परहित हरहित” (तर्ज :- ओ साथी रे) ओ साधक रे ब्रह्म सहित ही जीना। वेदमय जीवन सच्चा जीवन, साधक होके तू जीना।। टेक।। ब्रह्मबिन जीवन थोथा जीवन। भटके इत उत…
ब्रह्म मेरा घर है “चतुर्वेदी” (तर्ज :- तुम्ही मेरी मंदिर) ब्रह्म मेरा घर है, ब्रह्म मेरा दर है, ब्रह्म रास्ता है। वेद की दृष्टि से, देखें तो समझें, ब्रह्म हर निशां है।। बहुत युग…
हैं सब से दिव्य वो पल “अमिट” हैं सब से दिव्य वो पल जिनमें। हम ब्रह्म निकटतम पाते हैं। संसार शून्य हो जाता है। हम भी तो अमिट हो जाते हैं।। टेक।। मानवता के मन में…
व्यक्त की आभा इतनी सुन्दर “खुद का अव्यक्त” व्यक्त की आभा इतनी सुन्दर। अव्यक्त तो होगा ही सुन्दरतम।। अपने आप के अव्यक्त को समझ ले। विभूतिमय है वो है दिव्यतम।। टेक।। खुद को पढ़ लो,…
अप्रयास मैं तुझमें डूबा “ब्रह्म युजित” सप्रयास मैं तुझ तक पहुंचा, अप्रयास मैं तुझमें डूबा।। टेक।। दुनियां थी मेरे प्रयास का रास्ता। दुनियां से फिर रखा ना वास्ता।। ब्रह्म युजित मैं दुनियां टूटा, अप्रयास…
प्रज्ञान का घर है प्रज्ञान का घर है तेरा अन्तस गहन हो।। टेक।। मानव करले श्रेष्ठ पथ का चयन। ये ब्रह्म बसा है, कण-कण में व्यापक। यहां से वहां तक, वहां से यहां तक।…
ओहरे ज्ञान मिले वेद पढ़न से “लगन” (तर्ज :- ओहरे ताल मिले नदी के जल में) ओहरे ज्ञान मिले वेद पढ़न से पढ़न मिले लगन से। लगन मिले कौन यतन से, कोई जाने ना।। टेक।। माया…
यज्ञार्थ ही तू धन कमा “यजन” यज्ञार्थ ही तू धन कमा। यज्ञार्थ ही तू भोजन पका। मन का रे तू यज्ञ बना, प्राण हो जाए तेरा साम पगा।। टेक।। त्यागन अर्चन संगठन है यज्ञ बड़ा।…
“ओ ब्रह्म ज्योति के परवाने” “ओ ब्रह्म ज्योति के परवाने” (तर्ज :- इतना न मुझसे तू प्यार बढ़ा) इसलिए ओऽम् से लगन लगा। कि तू अल्पज्ञ है नन्हा सा।। ज्ञान तू अपना रे खूब बढ़ा।…
स्वयं को पाओ “नमकर समकर” स्वयं को पाओ, स्वयं को पाओ। नमकर, समकर, समकर, नमकर। स्वयं को पाओ, स्वयं को पाओ। दिव्य हो जाओ।। टेक।। सहज सरल हो कथनी, तेरे वचन में देख…
स्व थम् बाह्य चंचल “अगाओ थम्” स्व थम्, बाह्य चंचल, चंचला थमन असम्भव। स्व अचंचल, अचंचल थम्, अचंचल थमन्, अचंचल गमन। अचंचल गमन, अगाओ पहुंचन, अगाओ थम्।। 1।। त्रि त्वं, त्रि-राजन् त्वं, त्रिगुलाम मत…