“शून्य त्रुटि प्रबन्धन” June 22, 2019 By Arun Aryaveer सर्व कल्याण के लिए आज ही किये गए कर्मों का अवलोकन करके, उनके उदाहरण से इस पल किये जा रहे कर्मों और भविष्य में आयोजित किये गये कर्मों से सारी त्रुटियों का निराकरण करने तथा सम्पूर्ण रक्षण के लिए प्रकृष्ट ज्ञान, मननशील, विश्लेषण, विद्वत्ता- विद्-वत्ता = चारों वेदों के चार तरह प्रयोगों के ज्ञान, कर्म, उपासनामय, धारण पूर्वक गतिशील एवं अगतिशील संसाधनों का उपयोग करना चाहिए। (ऋग्वेद 10/63/8) उपरोक्त मन्त्र में प्रबन्धन के कई-कई सिद्धातों को शून्य त्रुटि प्रबन्धन के रूप में पिरोया गया है। हम तनिक मनन करें। प्रबन्धन का उद्देश्य सर्व कल्याण होना चाहिए इसके लिए वेदों में भद्र, शिव, शान्ति आदि शब्द आए हैं। इस मन्त्र में स्वस्तये शब्द का प्रयोग है। यह शब्द ऋग्वेेद 10/63 सूक्त का आधार शब्द है। स्वास्ति सुख का आधर भाव विश्व कल्याण भाव है। ”अथकृतात् अकृतात् एनसः परि“शून्य त्रुटि विधा है। हम अभी ही अ) पूर्व किये गए, ब) वर्तमान में किये जा रहे, स) भविष्य में किये जाने वाले या आयोजित कार्यों को सूचीबद्ध करते उनका विश्लेषण कर पच्चीस-पछहत्तर सिद्धान्त का प्रयोग करते उन्हें हर त्रुटि (एनस) का निवारण कर शून्य त्रुटि करें। इस प्रक्रिया में हमें सपूर्ण रक्षण (पिपृत) का ध्यान रखते उच्चस्तरीय ऋत आपूर्त स्थावर, अचल संसाधन व्यवस्था तथा चल जगत अर्थात् सतत परिवर्तनशील व्यवस्था पर (इशिरे) इशन प्रभुत्व रखना चाहिए। यहां अपरिर्वनीय के आध्ाार पर परिर्वतन प्रबन्धन रेखाकिंत किया गया है और इस व्यवस्था को प्रचेतस पकृष्ठ चेतना पूर्वक, जागरूकता पूर्वक मन्तव्य सूक्ष्म धरातलीय चिन्तन द्वारा विद्ववत्ता पूर्वक देव होते हुए करना अभीष्ट है। वेद मन्त्र- ”य ईशिरे भवुनस्य प्रचेतसो विश्वस्य स्थतुर्जगतश्च मन्तवः। ते नः कृतादकृतादेन सस्पर्यद्या देवासः पिपृता स्वस्तये।।“ स्व. डॉ. त्रिलोकीनाथ जी क्षत्रिय पी.एच.डी. (दर्शन – वैदिक आचार मीमांसा का समालोचनात्मक अध्ययन), एम.ए. (आठ विषय = दर्शन, संस्कृत, समाजशास्त्र, हिन्दी, राजनीति, इतिहास, अर्थशास्त्र तथा लोक प्रशासन), बी.ई. (सिविल), एल.एल.बी., डी.एच.बी., पी.जी.डी.एच.ई., एम.आई.ई., आर.एम.पी. (10752) Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.