वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम प्रश्नोत्तरी

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वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम

प्र. १) वानप्रस्थ का अर्थ क्या है ?

उत्तर : एकान्त स्थान में जाकर स्वाध्याय-साधना करना वानप्रस्थ कहलाता है।

प्र. २) वानप्रस्थ लेने का अधिकार किसे है ?

उत्तर : वानप्रस्थ लेने का अधिकार गृहस्थी स्त्री अथवा पुरुष को है।

प्र. ३) वानप्रस्थ कब लिया जाता है ?

उत्तर : परिवार के प्रति अपने कर्त्तव्य पूरे हो जाने पर वानप्रस्थ लिया जाता है।

प्र. ४) वानप्रस्थ के प्रमुख कर्त्तव्य क्या हैं ?

उत्तर : स्वाध्याय करना, पंचमहायज्ञ, धर्म का आचरण और योगाभ्यास करना वानप्रस्थ के प्रमुख कर्त्तव्य हैं।

प्र. ५) वानप्रस्थ के बाद अगला आश्रम कौन सा है ?

उत्तर : वानप्रस्थ के बाद अगला आश्रम संन्यास है।

प्र. ६) संन्यास ग्रहण क्यों किया जाता है ?

उत्तर : ईश्वर को प्राप्त करने तथा औरों को कराने के लिए संन्यास ग्रहण किया जाता है।

प्र. ७) आर्य जगत् के किन्हीं तीन संन्यासियों के नाम बताइए।

उत्तर : आर्य जगत् के प्रसिद्ध तीन संन्यासी ये हैं- १. स्वामी दयानन्द जी सरस्वती, २. स्वामी श्रद्धानन्द जी एवं ३. स्वामी दर्शनानन्द जी।

प्र. ८) संन्यास ग्रहण करने के लिए सबसे अनिवार्य योग्यता क्या है ?

उत्तर : संन्यास ग्रहण के लिए वैराग्य होना अनिवार्य है।

प्र. ९) संन्यासी का मुख्य कार्य क्या है ?

उत्तर : संन्यासी का मुख्य कार्य सत्योपदेश और राष्ट्र में वेद का प्रचार करना है।

प्र. १०) क्या दण्ड, कमण्डल, काषाय वस्त्र धरण करने वाले को ही संन्यासी कहते है ?

उत्तर : नहीं, दण्ड, कमण्डल, काषाय वस्त्र धरण करने मात्र से कोई संन्यासी नहीं होता, उसके लिए संन्यासी के कर्म करने आवश्यक हैं।

प्र. ११) समाज में अंध्विश्वास क्यों फैलता है ?

उत्तर : योग्य संन्यासी के न होने से समाज में अन्धविश्वास फैलता है ।

प्र. १२) संन्यास ग्रहण करने का अधिकार किसे है ?

उत्तर : संन्यास ग्रहण करने का अधिकार पूर्ण धार्मिक एवं विद्वान् को है।

प्र. १३) भारत में लाखों की संख्या में संन्यासी हैं, फिर भी इतना अन्ध्विश्वास क्यों है ?

उत्तर : अधिकांश संन्यासी विद्या और वैराग्य से रहित हैं। उनमें अन्धविश्वास को दूर करने की न तो इच्छा है और न सामर्थ्य। अतः अन्धविश्वास, पाखण्ड दिनोदिन फैल रहा है।

प्र. १४) धर्म के लक्षण कितने हैं ?

उत्तर : धर्म के दस लक्षण हैं।

प्र. १५) धर्म के दस लक्षण कौन से हैं ?

उत्तर : १. धैर्य, २. क्षमा, ३. मन को धर्म में लगाना, ४. चोरी न करना, ५. शुद्धि, ६. इन्द्रियों पर नियन्त्रण, ७. बुद्धि बढ़ाना, ८. विद्या, ९. सत्य, १०. क्रोध न करना ये धर्म के दस लक्षण हैं।

प्र. १६) योग्य संन्यासी का परीक्षण कैसे होता है ?

उत्तर : सत्योपदेश, वेद, धर्म का प्रचार करने वाला संन्यासी योग्य संन्यासी कहलाता है।

प्र. १७) योग के कितने और कौन से अंग होते हैं ?

उत्तर : योग के आठ अंग होते हैं- १ यम, २. नियम, ३. आसन, ४. प्राणायाम, ५. प्रत्याहार, ६. धारणा, ७. ध्यान, ८. समाधि।

प्र. १८) परिव्राजक किसे कहते हैं ?

उत्तर : घूम-घूम कर वेद प्रचार करनेवाले संन्यासी को परिव्राजक कहते हैं।

प्र. १९) वैराग्य का अर्थ क्या होता हैं ?

उत्तर : संसार के विषयों को भोगने की इच्छा का न होना वैराग्य कहलाता है। अर्थात् तीनों एषणाओं (पुत्रैषणा, लोकैषणा तथा वित्तैषणा) का त्याग वैराग्य है।

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